वो गुलाब नहीं
भरोसा लाया था
महक गई रूह मेरी।
वो झुमके नहीं
ताल्लुक लाया था
हार गई मेरे जीवन की
परेशानियां -दुश्वारियां सारी।
वो बिंदिया नहीं
संपूर्ण ब्रह्मांड लाया था
सुधर गई मेरे ग्रह-नक्षत्रों की
बिगड़ी चाल सारी।
वो लौंग-लतिका नहीं
प्रेम कविता लिख लाया था
खुमारी में डूब गई
मेरी देह पर लिखी कहानियां सारी।
वो पायल नहीं
हौसला लाया था
जिसे पग बांधे
ब्रह्मांड की परिक्रमा लगाती मैं
उसकी बलैयां ले नजर उतारती
उसपर जाती वारी-बलिहारी।
MuSu
10 months ago